शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2012

जीवन- एक लेख

                             

                            शायद, संगीत के सात सुरों में जीवन को समेटा नहीं जा सकता, कुछ हसीं लम्हों में जीवन को बाँधा नहीं जा सकता, या चंद दुखों से ज़िन्दगी को परखा नहीं जा सकता है, इसलिए इंसान को शब्दों और स्याही का सहारा प्रदान किया गया है। हजारों संवेदनाओं को मस्तिस्क की कोशिकाओं की आतंरिक स्तिथि से सुस्सजीत कर एक कागज पर पिरोहना एक प्रतिभाशाली कला है- शायद उसे ही लेखनी कहते है। मेरे लिए  लेखनी क्या है, इसकी परिबाषा बताना ज़रा सा मुश्किल ज़रूर है- शायद ह्रदय के अन्दर बहता हुआ लहू है या शायद अंतर्मन में बहती हुई कोई आरजू या अरमान है, पर जो भी है, मुझे पसंद है। जिन चीज़ों को समझाया नहीं जा सकता उन चीज़ों को अपना अविभाज्य हिस्सा मान लेना चाहिए- क्या पता ज़िन्दगी आपको इन्ही चीज़ों में ज़िन्दगी का मज़ा और मकसद दोनों दे दे। 
                       
                               मैं एक भारतीय हूँ। और एक भारतीय हो के भी लेखनी के प्रति रूचि की कोई वजह देनी पड़े तो यह हास्यास्पद होगा। भारत अपने आप में एक प्रकार की प्रेरणा है, एक खुली किताब, एक खुला आसमान है- जिसपे हर व्याकुल पंछी अपने कौतुकता के पंख लगाकर अनंत दिशाओं में विचरण कर सकता है। और यह विचरण भी कोई साधारण राह नहीं, ज़िन्दगी का कोई सर्वोच्च आनंद या फिर जिज्ञासा की कोई असीम गहराई है। कभी-कभी सोचता हूँ कि अगर भारत में मुझे पैदा नहीं किया जाता तो शायद इस लेखन नाम के कुँए में कभी कूदता ही नहीं- हिम्मत ही नहीं हो पाती या फिर यूँ कहूँ की प्रेरणा ही नहीं मिलती। इस स्वर्ग-समान स्थल ने मुझे ज़िन्दगी के हर चेहरे से रूबरू करवाया है। कुछ तो है- जो आपको यहाँ रहने के बाद लिखने पर मजबूर कर देगी, इसकी हवा ही कुछ प्रकृति की उन चुनिन्दा करिश्मों में से है जो आपके अन्दर के सोये हुए लेखक को जगाती है। वरना देखने को तो यूँ हम रोज़ हजारों चीज़ें देखते है, परन्तु कुछ ही चीज़ें हमारे दिल में एक अविस्मार्निए स्थान बनाती है। और जिस स्थान पे वो हमारे दिल में एक चिंगारी जगाते है, उस जगह में कुछ तो बात होगी। इसलिए भारत के प्रति इतना प्रेम और सम्मान होने में कोई अस्चर्या का विषय नहीं है। 

                               हम जीवन के इस राह पर चलना तो जानते है, परन्तु रूककर सोचना नहीं। लेखनी मुझे सोचने का मौका देती है- एक ऐसा मौका जो इस भीषण भीड़ वाले जगत में बहुत ही कम लोगों को मिलता है। अपनी इस भागती हुए ज़िन्दगी को एक पल एक लिए थाम कर देखने की कोशिस कीजिये- शायद ज़िन्दगी की छुपी हुई खूबसूरती नज़र आ जाये। और जब आप इस खूबसूरती को जीना सीख जाये तो उसे ही लेखनी कहिएगा ! 

- वैभव वरुण